आज के समय में, जब डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और दिल की बीमारियाँ आम हो गई हैं, बहुत से लोग अपनी सेहत और तंदुरुस्ती के लिए प्राकृतिक और टिकाऊ तरीके ढूंढ रहे हैं। DIP Diet, जिसका मतलब है 'डिसिप्लिन्ड एंड इंटेलिजेंट पीपल्स डाइट', डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी द्वारा सुझाया गया एक ऐसा तरीका है। यह पौधों पर आधारित (plant-based) एक सरल लेकिन बहुत असरदार तरीका है, जिससे न सिर्फ इन बीमारियों को मैनेज किया जा सकता है, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म करने की भी संभावना होती है। यह डाइट प्लान जानी-मानी "द चाइना स्टडी" जैसे बड़े न्यूट्रिशन रिसर्च से काफी प्रेरित है।
आधार: "द चाइना स्टडी" से मिली सीख
डॉ. टी. कॉलिन कैंपबेल और उनके बेटे थॉमस एम. कैंपबेल की किताब "द चाइना स्टडी: पोषण पर अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन" एक बहुत महत्वपूर्ण रिसर्च है। इसमें चीन और ताइवान के गावों में खान-पान और बीमारियों के बीच संबंध को गहराई से समझा गया। कई दशकों तक चले इस अध्ययन में यह साफ हुआ कि जो लोग पशुओं से मिलने वाला प्रोटीन (animal-based protein) ज्यादा खाते थे, उनमें दिल की बीमारियाँ, डायबिटीज़ और कुछ तरह के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ ज्यादा पाई गईं। वहीं दूसरी ओर, जो लोग मुख्य रूप से साबुत, पौधा-आधारित खाना (whole, plant-based diet) खाते थे, उनमें ये बीमारियाँ बहुत कम थीं।
"द चाइना स्टडी" की कुछ खास बातें जो DIP Diet के सिद्धांतों से मिलती हैं:
- पशु प्रोटीन (खासकर दूध में पाया जाने वाला केसीन) बीमारियों को बढ़ावा देता है।
- साबुत पौधा-आधारित भोजन – जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दालें – से भरपूर आहार बीमारियों से बचाता है।
- कई पुरानी बीमारियों के लिए, हमारे जीन्स (genetics) से ज्यादा असरदार हमारा खान-पान हो सकता है।
DIP Diet इन्हीं बातों को अपनाती है और पूरी तरह से बिना प्रोसेस किए हुए, प्राकृतिक, पौधा-आधारित भोजन पर जोर देती है।
DIP Diet क्या है? इसके मुख्य सिद्धांत
DIP Diet दिन भर के लिए खाने का एक सीधा-साधा, दो-चरणीय प्लान है, जिसमें कच्चे फल और सब्जियां ही पोषण का मुख्य जरिया होती हैं। इसके खास नियम हैं:
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पहला चरण (दोपहर 12 बजे तक): सिर्फ फल
DIP Diet: Fruits Only Till 12 PM - दोपहर 12 बजे तक सिर्फ फल ही खाने हैं।
- कितने फल खाने हैं, यह आपके शरीर के वजन पर निर्भर करता है: शरीर का वजन (किलोग्राम में) x 10 ग्राम। जैसे, अगर आपका वजन 70 किलो है, तो आपको 700 ग्राम फल खाने होंगे।
- 3-4 तरह के मौसमी और स्थानीय फल खाना अच्छा रहता है।
- इस दौरान पानी के अलावा और कुछ भी खाना-पीना नहीं है।
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दूसरा चरण (लंच और डिनर): दो-प्लेट सिस्टम
Lunch and Dinner in DIP Diet: Raw + Cooked Food लंच और डिनर, दोनों समय खाने को दो प्लेटों में बांटा जाता है:
- प्लेट 1 (पहले खाएं): कच्ची सब्जियां/सलाद
- इसमें टमाटर, खीरा, गाजर, मूली, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्प्राउट्स (अंकुरित अनाज) जैसी कच्ची सब्जियां होती हैं।
- मात्रा: शरीर का वजन (किलोग्राम में) x 5 ग्राम। 70 किलो के व्यक्ति के लिए यह 350 ग्राम सलाद होगा।
- प्लेट 2 खाने से पहले प्लेट 1 को पूरा खत्म करना है।
- प्लेट 2 (प्लेट 1 के बाद): पका हुआ शाकाहारी भोजन
- इसमें घर का बना सादा शाकाहारी खाना होता है, जो कम तेल और कम नमक में बना हो।
- इसमें रोटी, चावल, दाल, पकी हुई सब्जियां आदि हो सकती हैं।
- प्लेट 2 आप अपनी भूख के अनुसार खा सकते हैं, इसकी कोई तय मात्रा नहीं है।
- प्लेट 1 (पहले खाएं): कच्ची सब्जियां/सलाद
DIP Diet में क्या चीजें बिल्कुल नहीं खानी चाहिए?

अच्छी सेहत पाने के लिए, DIP Diet में इन चीजों से पूरी तरह बचना होता है:
- सभी तरह के पशु उत्पाद (animal products) जैसे मांस, मछली, मुर्गा, अंडे।
- सभी डेयरी उत्पाद (dairy products) जैसे दूध, दही, पनीर, मक्खन, घी, आइसक्रीम।
- सभी तरह के पैकेटबंद, प्रोसेस्ड और रिफाइंड खाद्य पदार्थ (जैसे बिस्किट, नूडल्स, डिब्बाबंद खाना, मैदा, रिफाइंड चीनी, रिफाइंड तेल)।
- चाय और कॉफी (ये उत्तेजक होते हैं)।
- मल्टीविटामिन, टॉनिक और आर्टिफिशियल सप्लीमेंट्स (जब तक कोई डॉक्टर किसी खास कमी के लिए इन्हें लेने की सलाह न दे)।
मुख्य बात यह है कि भोजन को उसके सबसे प्राकृतिक और बिना प्रोसेस किए हुए रूप में ही खाया जाए।
हेल्दी स्नैकिंग ऑप्शनस: DIP Diet में यदि भोजन के बीच ज़रूरत हो)
वैसे तो DIP Diet इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि आपका पेट भरा रहे, लेकिन अगर आपको भोजन के बीच भूख लगती है, खासकर शुरुआती दिनों में, तो यहाँ कुछ हेल्दी, DIP Diet-फ्रेंडली स्नैकिंग ऑप्शन्स दिए गए हैं:
- और फल: कोई भी मौसमी फल एक बढ़िया स्नैक हो सकता है (खासकर दोपहर 12 बजे से पहले, पहले चरण के अनुसार)।
- कच्ची सब्जियां: गाजर, खीरा, शिमला मिर्च के टुकड़े – किसी भी समय के लिए बहुत अच्छे।
- हरी पत्तियां: पालक या दूसरी खाने लायक हरी पत्तियों की थोड़ी सी मात्रा भी पेट भरने में मदद कर सकती है।
- ताजे जूस: बिना चीनी या नमक के ताज़ी सब्जियों के जूस (जैसे गाजर, चुकंदर, पालक)। फलों के जूस आमतौर पर पहले चरण का हिस्सा होते हैं।
- कच्चा नारियल या नारियल पानी: शरीर में पानी की कमी पूरी करने और इलेक्ट्रोलाइट्स के लिए बेहतरीन।
- भुने हुए बीज (बिना नमक के): सूरजमुखी, कद्दू या अलसी के बीजों की थोड़ी सी मात्रा।
- भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स: कुछ भीगे हुए बादाम, अखरोट या किशमिश (कम मात्रा में, क्योंकि इनमें कैलोरी ज्यादा होती है)।
- सादा वेजिटेबल सूप (बिना नमक, बिना तेल के): गर्म और हल्का, अगर कुछ नमकीन खाने का मन हो तो अच्छा है।
- हुंज़ा चाय: एक हेल्दी हर्बल पेय जिसे पिया जा सकता है।
- मिलेट्स (पके हुए, सादे): अगर बहुत ज्यादा भूख लगी हो तो पके हुए मिलेट्स जैसे फॉक्सटेल, कोदो या लिटिल मिलेट की थोड़ी मात्रा ली जा सकती है, लेकिन पहले कच्चे विकल्पों को प्राथमिकता दें।
ज़रूरी बात: स्नैकिंग बहुत कम होनी चाहिए और सिर्फ तभी जब वाकई में भूख लगी हो। DIP Diet के मुख्य भोजन ही आपको भरपूर पोषण और तृप्ति देने के लिए बनाए गए हैं। हमेशा यह देखें कि आपको सच में भूख लगी है या सिर्फ प्यास लगी है या बोरियत हो रही है।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त थेरेपीज़
DIP Diet के साथ-साथ, कुछ प्राकृतिक थेरेपीज़ भी हैं जो ठीक होने की प्रक्रिया और सेहत को और बेहतर बना सकती हैं। ये अक्सर डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी के प्रोटोकॉल का हिस्सा होती हैं:
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धूप सेवन (Sunlight Exposure):
रोजाना कम से कम 45 मिनट धूप लें (सुबह या शाम की धूप बेहतर होती है) और कोशिश करें कि शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा धूप के संपर्क में आए। धूप विटामिन डी के लिए बहुत ज़रूरी है, जो हमारी इम्यूनिटी, हड्डियों की मजबूती और मूड को अच्छा रखने में मदद करता है। -
ग्राउंडिंग या ज़ीरो वोल्ट थेरेपी (ZVT):
रोजाना कम से कम 2 घंटे धरती के सीधे संपर्क में रहें (जैसे घास, मिट्टी या रेत पर नंगे पैर चलना)। माना जाता है कि इस अभ्यास से शरीर में सूजन कम होती है, नींद अच्छी आती है और कोर्टिसोल हॉर्मोन का संतुलन ठीक होता है, क्योंकि आपका शरीर धरती के प्राकृतिक बिजली के चार्ज से जुड़ता है। -
गर्म पानी में स्नान (Hot Water Immersion - HWI):
अपने शरीर को (गर्दन तक) लगभग 30 मिनट के लिए गर्म पानी (लगभग 40°C या जितना आरामदेह हो) में डुबोएं। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो सकता है, मांसपेशियों को आराम मिलता है, ब्लड प्रेशर कम हो सकता है और शरीर से गंदगी बाहर निकलने में मदद मिलती है। यह अक्सर किडनी के मरीजों और हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए सुझाया जाता है, *लेकिन किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें*। -
हेड डाउन टिल्ट (HDT):
इसमें शरीर को इस तरह झुकी हुई सतह पर लिटाया जाता है कि सिर पैरों से नीचे हो (जैसे, अपने बिस्तर को 10-15 डिग्री तक झुकाकर) और ऐसा रोजाना लगभग 2 घंटे, अक्सर सोते समय किया जाता है। यह थेरेपी दिमाग और ज़रूरी अंगों में खून के दौरे को बेहतर बनाने के लिए सुझाई जाती है, और कई बीमारियों में फायदेमंद हो सकती है। *इसे हमेशा धीरे-धीरे और विशेषज्ञ की सलाह से ही शुरू करें।* -
गहरी सांस लेना (प्राणायाम) या सरल योग व्यायाम:
गहरी सांस लेने के व्यायाम (जैसे अनुलोम विलोम, भ्रामरी) या सरल योगासन करने से तनाव कम होता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, शरीर के टिशूज़ को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है, और मन शांत रहता है व दिमाग तेज होता है।
ध्यान दें: इन थेरेपीज़ को किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ या सर्टिफाइड DIP Diet कंसलटेंट के मार्गदर्शन में ही अपनाना चाहिए, खासकर यदि आपको पहले से कोई बीमारी है। ये DIP Diet के सहायक उपचार हैं और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं हैं।
DIP Diet के संभावित स्वास्थ्य लाभ
DIP Diet का पालन करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जैसे:
- टाइप 2 डायबिटीज़ का रिवर्सल: बहुत से लोगों ने अपने ब्लड शुगर लेवल में जबरदस्त सुधार देखा है, और अक्सर उनकी दवाएं भी कम या बंद हो गई हैं।
- हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) का मैनेजमेंट: इस डाइट में पोटैशियम ज्यादा और सोडियम कम होता है, और यह सूजन भी कम करती है, जिससे ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने में मदद मिलती है।
- वजन का मैनेजमेंट: इसमें फाइबर ज्यादा और कैलोरी कम होती है, जिससे प्राकृतिक रूप से वजन कम होता है।
- दिल की सेहत में सुधार: यह डाइट कोलेस्ट्रॉल वाले पशु उत्पादों और खराब फैट से बचाती है, और ब्लड प्रेशर व वजन को कंट्रोल करके दिल को स्वस्थ रखती है।
- पाचन तंत्र में सुधार: ज्यादा फाइबर होने से पाचन ठीक रहता है और पेट में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं।
- एनर्जी लेवल और फुर्ती में बढ़ोतरी।
- शरीर में सूजन कम होना और डिटॉक्सिफिकेशन।
DIP Diet पर अधिक जानकारी और इसके असर के बारे में और जानने के लिए आप रिसर्च पेपर्स और ट्रायल्स देख सकते हैं।
Download DIP Diet PDFDIP Diet को अपनाना: सफलता के लिए कुछ टिप्स
- धीरे-धीरे शुरू करें: अगर एकदम से पूरी डाइट बदलना मुश्किल लगे, तो DIP Diet के कुछ हिस्सों को धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में शामिल करना शुरू करें।
- भिन्नता ज़रूरी है (Variety is Key): तरह-तरह के फल और सब्जियां खाएं ताकि आपको सभी ज़रूरी पोषक तत्व मिल सकें।
- पानी खूब पिएं: दिन भर में खूब पानी पीते रहें।
- अपने शरीर की सुनें: भूख और पेट भरने के संकेतों पर ध्यान दें।
- मार्गदर्शन लें: किसी खास स्वास्थ्य समस्या के लिए, DIP Diet के जानकार हेल्थ प्रोफेशनल से सलाह लेना या डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी की टीम से संपर्क करना बेहतर है।
निष्कर्ष
"द चाइना स्टडी" जैसे गहरे पोषण विज्ञान पर आधारित DIP Diet, सेहत के लिए एक असरदार, प्राकृतिक और हिम्मत देने वाला तरीका है। साबुत, पौधा-आधारित भोजन को प्राथमिकता देकर और नुकसानदेह प्रोसेस्ड चीजों को हटाकर, इसका मकसद शरीर की बीमारियों से लड़ने और उन्हें ठीक करने की अपनी अंदरूनी ताकत को जगाना है। जब इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में सही प्राकृतिक थेरेपीज़ के साथ अपनाया जाता है, तो इसके फायदे और भी बढ़ सकते हैं। हालांकि हर किसी पर इसका असर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन DIP Diet के सिद्धांत एक स्वस्थ और ज्यादा ऊर्जावान जीवन के लिए एक मजबूत नींव रखते हैं।